आकाश में मुस्कुराते मेरी जी आने का वचन दे गए – रवींद्र जुगारन

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आकाश में मुस्कुराते मेरी जी आने का वचन दे गए

रवींद्र जुगारन

मध्यम कद काठी आंखों में चश्मा मुख में मुस्कान , घुटनों तक लंबा कुर्ता कंधे पर कपड़े का थैला थैले में कुछ पुस्तक पत्र पत्रिका लिए अपने दोपहिया स्कूटर वाहन से गुवाहाटी की सड़कों पर दिनभर दौड़ता रहता एक सामान्य सा दिखने वाला पर असामान्यव्यक्ति आदरणीय महेश नेगी जी हमारे बीच नहीं रहे जब यह दुखद समाचार मेरे प्रिय बंधुओं श्री कलिंद्र देखा जी ने।दिनांक 18 नवंबर 2020 के प्राप्त 10:30 बजे मुझे चली प्रभास फोन द्वारा बताया तो सुनते ही मन समवेत और दिल हो गया कि इन्हीं सीधीसिद्ध में दीजिए आंखों के सामने उनकी छवि छा गई। पुरानी यादें में सन 2003 का दृश्य सामने आ गया। दिल्ली में मेरी स्वर्गीय महेश मोदी जी के साथ प्रधान भेंट हुई थी। भले ही यह पहला मिलना था पर उनके विचार स्वभाव से लग रहा कि हमारा यह प्रधान परिचय नहीं बल्कि बुलाने से ही पुराने परिचय है।

वर्ष में दो बार वे दिल्ली आते ही थे और हर बार अपने साथ समाज के सम्मानीय नए मित्र को लेकर आते थे जिनमें से माता लक्ष्मी दास जी माता देवी कभी हरिंदर जी कुलेंद्र देखा जी आदि उनके नामों का संबंध था। बना जब उनके आमंत्र पर मैं पूर्व ही धरती। आज शाम गया। तू तो उन्हें मेरा स्वागत किया। वहीं वर्णन मुझे पूर्ण विश्वास कर परिवार का सदस्य बना कर रखा।

मैंने उन्हें कभी विश्राम करते हुए नहीं देखा। वह हमेशा 17 वक्त प्रभाव से भरे हुए सुबह-सुबह घर के निकलकर गुवाहाटी महानगर का भ्रम करना आसमान में साप्ताहिक रंगीली वार्ताका निरंतर प्रकाश जिसमें उन्होंने हिंदी कलम में मुझे लिखने का भी आग्रह किया। देशभर के कार्यक्रमों में जाकर सम्मानित होने उन्हें उनकी दिनचर्या में शामिल रहा।दूसरे के दुख को दूर करने का उपाय कोई ना कोई उपाय खोज ही लेते थे।पूर्णतया पहाड़ी के आदरणीय अग्रवाल जी से जब हम दोनों मिलने तो मधुर संबंध का आनंद मिला उनके सम्मान के कारण मुझे भी प्रज्ञाज्योतिषपूर की धरती पर बहुत प्यार सम्मान मिला। फिर चाहे वह किसी परिवार से मिलने रहा हो या फिर गतिविधिलव ईश्वरी देवी का आशीष यह स्वरूप खादी का रुमाल या फिर पूजनीय महापुरुष श्रीकांत संकर देव जी का औचित्य पर जयंती पर पलटन बाजार के नाम घर में गमछा सम्मान या फिर गुवाहाटी की सड़कों पर उनके साथ मस्ती से खून आ रहा हो। सभी यादें दृश्य बनकर एक-एक कर आंखों के सम्मुख आ गए और आंखों गीली भी होई

जब वह मुंबई में आयोजित दलित लेखक संघ में कार्यक्रम में जाने की तैयारी कर रहे थे। टिकट भी आरक्षित हो गई थी उसी समय मैं उनके घर मानपारा में ही था। जलपान वह दोपहर के भोजन के बीच बातचीत के मधुर वातावरण में साथ में ने उन्हें बधाई दी और अगले दिन वापस दिल्ली चला गया परंतु विधि विडंबना अगले दिन फोन में समाचार मिला कि मेरी जी को उसी दिन प्रसारित हुई और उनके दाएं शरीर के आधे भाग में काम करना बंद कर दिया और सुनते ही मैं अवाक रह गया। उसका मुंबई जाना तो  रद्द हुई। साथ ही गुवाहाटी के सड़कों पर घूमने वाला एक संस्कारी उच्चरण कार्यकर्ता चारदीवारी के कमरे में कैद होकर रह गया

लंबे समय के बाद वह कुछ स्वस्थ हुए पर इस कष्ट की घड़ी में उनके मित्र भी उनका साथ छोड़ गए। मोदी जी की खबर करना उन्हें आश्वस्त हूं। ना समझना शायद संस्कार का यही विधित है कि यह चढ़ते सूर्य को प्रणाम किया जाता है। अस्त होने वाले को भी डीलर ही देखते हैं। मेरे आग्रह पर भी मित्र बंद समय ना निकला पाए तो मोदी जी को इस बात का काफी दुख होता था क्योंकि जब भी उनके मिलता तो उनका मुख्य कमल खिल खिलाता उठता था और मेरे साथ वह अपने पुराने मित्रों के बाद याद करते थे।

एक बार उन्होंने मुझसे कहा था कि रवि जी आपको मैं अपने गांव लेकर जाऊंगा। मैंने तो तुरंत जाने के यहां में भर्ती पर भाग्य का लेखक कौन कौन पढ़ पाया। हम दोनों गांव की सैर को जाते। उससे पहले ही उनके निधन का दुखद समाचार आ गया। उसी दिन दिल्ली में स्वच्छ आकाश में शादी की मीठी मीठी धूप खिली हुई थी। न गम में एक स्वतंत्र छवि हो जो अस्वस्थ के कारण कैद हो गया था। आज उन्होंने खोकर दूर गगन में उड़ता हुआ अपनी उड़ान पूरी

करने चल दिया और खुले गगन में मुझे मेरी जी का मुस्कुराता चेहरा दिखाई दे रहा था। वह मुझसे कह रहे थे कि रवि जी मैं पहले जैसा स्वतंत्र हो गया हूं। मैं कहीं नहीं जाऊंगा। पुनर आ जाऊंगा और सपनों को साकार कर लूंगा

आदरणीय स्वर्गीय महेश मेथीची मन में सचेतन में कट अमानुष सबके प्रिय और सब को अपना बनाने वाले कर्मशील व्यक्ति केंद्रित स्वर्ग स्वर्ग में दी थी कि ईश्वर के धाम में विश्व वन दिवस जहां भी रहे सदैव मुस्कुराते रहें। सुखी रहें परमपिता के इसी प्रार्थना के साथ उनके परिवार को नमन करते हुए मेरी स्नेह भावपूर्ण श्रद्धांजलि।

रविंद्र जुगाड़,

नई दिल्ली

संपर्क- 9599466471