कवि का जुनून
विचारों के बारिश अगर हो
बूँदों में भी शब्द ढूँढ़ लेते हैं
डिगते नहीं फिर घिर घटा घनघोर में
ये कश्तीयों के पतवार लिखने वाले!
तूफाँ के ललकार से वेग छीनकर
कौंधती तड़ित के ताने-बाने से
बुनते हैं छन्दो में ज़ज्बा ओ जुनून
ये हौसलों के मिनार लिखने वाले!
बदलते फ़िजा की शोखियों में
गुलो से गन्ध-मकरन्द संजोकर
लपेटते हैं पंक्तियाँ चाँदनी की चादर में
ये महताब लिखने वाले!
रवि के उगते-डूबते किरणों से
थोड़ी तपिश थोड़ी उर्जा लेकर
तराशते हैं शाम ओ सुबह एहसासों को
ये आफ़ताब लिखने वाले!
फिर जहाँ न पहुँचे दिनकर
वहाँ ये रात ओ दिन पहुँचते हैं
घुलते हैं कलम के सिपाही स्याही में
ये नया समाज सरेआम लिखने वाले!
लाख दबाए कोई भावनाएँ इनकी
ये दबते कहाँ हैं अनायास उभरने वाले!!
~मौलिक व स्वरचित🙏
®️राजेन्द्र प्रसाद साह
@ ईस्ट जयन्तिया हिल्स,
मेघालय।
(8413060785)
#चित्र साभार