जगत-जननी जगदंबा- तरूण कुमार

जगत-जननी जगदंबा, ईश्वर का उपहार हो तुम |
हमको शक्ति देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||…..2
संसाधनों की रानी हो ,प्राणी जगत का धाम हो तुम |

हमको शक्ति देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||
हरे-हरे हैं खेत यहाँ , डाल –डाल पर फूल खिले |
मस्त धुनों में गीत सुनाते ,पंछी देखो मिले गले ||
बर्फीली चट्टानें है ऊंचे पर्वत मैदान यहाँ |
इन्हीं गुफाओं में मिलता है ,ऋषियों को वरदान यहाँ ||
तरह-तरह के जीवन हैं और तरह-तरह के मौसम हैं |
तरह –तरह के खेल खेलती वर्षा रानी बादल हैं ||
सुंदर-सुंदर उपवन हैं पानी का भंडार हो तुम |
हमको जीवन देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||
जगत-जननी जगदंबा, ईश्वर का उपहार हो तुम |
हमको शक्ति देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||
नदी हवा के संग ये झरने गीत तुम्हारे गाते हैं |
फलों से लद-लद पेड़ हमें जीने का राग सुनते हैं ||
ऊंचे-ऊंचे पर्वत से निकले नदियों की धाराएँ |
सभी दिशाओं में देखो सुंदर उपवन की मालाएँ ||
सागर को वश में करने का बल तुम ही हो दिखलाती |
सारे जग का भार सहो पर तुम न कभी हो इठलाती ||
सारी सृष्टि में सारे जगत में सबसे धनवान हो तुम |
सारी सृष्टि में सारे जगत में सर्वशक्तिमान हो तुम ||
हमको जीवन देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||
जगत-जननी जगदंबा, ईश्वर का उपहार हो तुम |
हमको शक्ति देने वाली एकमात्र अवतार हो तुम ||
✍️तरूण कुमार✍️
(प्राथमिक शिक्षक)
डॉ. रा. प्र. केंद्रीय विद्यालय